Description
भौतिक चकाचोंध है तो अज्ञान का अंधकार भी घनीभूत है।ऐसे में स्वामी श्री परमात्मा नन्द सरस्वती एक ज्योति पुंज बन कर उभरे है/ समय के चौराहे पर खड़ी मानवता के लिए स्वामी जी एक प्रकाश की लो है। यह ऐसा समय है जब सनातन को लेकर बहुत शोर भी है ,बहुत स्वर भी सुनाई देते है।सतह पर एक धुंधलका छाया है। ठीक उसी समय स्वामी जी वेदांत का गूढ़ अर्थ बहुत सरल शब्दों में समझाते है।वे सनातन परम्परा के विलक्षण संत है।
संसार में धर्मो की बड़ी शृंखला है।लेकिन हिन्दू महज एक धर्म नहीं है। इसका न कोई आरम्भ है न कोई अवसान।यह सत्य और संस्कृति का समागम है।हिन्दू धर्म का फलक विस्तृत और द्रष्टिकोण व्यापकता लिए मिलता है।यह जीवन जीने का एक नजरिया है। यह एक ऐसा सांस्कृतिक प्रवाह है जो सतत प्रवाहमान है।यह धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथो की एक समृद्ध विरासत का वाहक है।इसमें निरन्तरता और अनवरतता है।